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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 7

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    प्रेषि 14:23 या, “प्राचीन।”

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फुटनोट

  • *

    प्रेषि 14:27 शाब्दिक, “विश्‍वास का द्वार।”

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रेषितों 14:1-28

प्रेषितों

14 अब पौलुस और बरनबास इकुनियुम में एक-साथ यहूदियों के सभा-घर में गए और वहाँ उन्होंने इतने बढ़िया ढंग से बात की कि यहूदियों और यूनानियों में से भारी तादाद में लोग विश्‍वासी बन गए। 2 मगर जो यहूदी विश्‍वास नहीं लाए थे, उन्होंने गैर-यहूदियों को भड़काया और भाइयों के खिलाफ उनके मन में कड़वाहट भर दी। 3 इसलिए पौलुस और बरनबास ने वहाँ काफी समय बिताया और यह जानते हुए कि यहोवा ने उन्हें यह अधिकार दिया है वे निडर होकर उसका वचन सुनाते रहे। और परमेश्‍वर उनके हाथों चमत्कार और आश्‍चर्य के काम करवाता रहा ताकि इससे साबित हो कि परमेश्‍वर की महा-कृपा का जो संदेश पौलुस और बरनबास सुना रहे हैं वह उसी की तरफ से है। 4 मगर, शहर के लोगों में फूट पड़ गयी और कुछ यहूदियों की तरफ हो गए, तो दूसरे प्रेषितों की तरफ। 5 गैर-यहूदियों और यहूदियों के साथ उनके अधिकारियों ने मिलकर उन्हें बेइज़्ज़त करने और उन पर पत्थरवाह करने की योजना बनायी। 6 मगर पौलुस और बरनबास को इसकी खबर मिल गयी, इसलिए वे वहाँ से भाग गए और लुकाउनिया के लुस्त्रा और दिरबे शहरों के आस-पास के इलाकों में चले गए। 7 वहाँ वे खुशखबरी का ऐलान करते चले।

8 लुस्त्रा में एक आदमी था जो पाँवों से लाचार था। वह जन्म से ही लँगड़ा था और कभी चला नहीं था। 9 यह आदमी बैठकर पौलुस की बातें ध्यान से सुन रहा था। पौलुस ने उसे गौर से देखा और यह समझकर कि उसमें ठीक होने का विश्‍वास है, 10 ऊँची आवाज़ में कहा: “अपने पाँवों के बल सीधा खड़ा हो जा।” तब वह उछलकर खड़ा हो गया और चलने-फिरने लगा। 11 जब लोगों ने पौलुस का यह काम देखा, तो लुकाउनिया की बोली में ऊँची आवाज़ में कहने लगे: “देवता, इंसान बनकर हमारे बीच उतर आए हैं!” 12 और वे बरनबास को ज़्यूस, मगर पौलुस को हिरमेस कहने लगे क्योंकि बात करने में वही आगे था। 13 और शहर के सामने जो ज़्यूस का मंदिर था, वहाँ का पुजारी बैल और फूलों के हार लिए फाटक के पास आया और चाहता था कि लोगों के साथ मिलकर पौलुस और बरनबास के आगे बलि चढ़ाए।

14 मगर जब प्रेषितों यानी बरनबास और पौलुस ने इस बारे में सुना, तो उन्होंने अपने चोगे फाड़े और यह चिल्लाते हुए भीड़ में कूद पड़े: 15 “हे लोगो, तुम यह सब क्यों कर रहे हो? हम भी तुम्हारी तरह अदना इंसान हैं और तुम्हें एक खुशखबरी सुना रहे हैं ताकि तुम इन बेकार की चीज़ों को छोड़कर जीवित परमेश्‍वर के पास आओ, जिसने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उनमें की सब चीज़ों को बनाया है। 16 बीते समय में उसने सब जातियों को अपनी-अपनी राह चलने दिया, 17 फिर भी उसने खुद को बे-गवाह न छोड़ा, यानी वह भलाई करता रहा और तुम्हें आकाश से बरसात और अच्छी पैदावार के मौसम देता रहा और तुम्हें जी भर के खाना और ढेरों खुशियाँ देकर तुम्हारे दिलों को आनंद से भरता रहा।” 18 यह सब कहने के बावजूद वे बड़ी मुश्‍किल से भीड़ को रोक पाए कि उनके आगे बलिदान न चढ़ाएँ।

19 मगर अंताकिया और इकुनियुम से यहूदी वहाँ आ धमके और उन्होंने लोगों को अपनी तरफ कर लिया। तब लोगों ने पौलुस पर पत्थरवाह किया और उसे मरा समझकर शहर के बाहर घसीटकर ले गए। 20 मगर जब चेले उसके चारों तरफ आ खड़े हुए, तो वह उठ बैठा और शहर में गया। दूसरे दिन वह बरनबास के साथ दिरबे चला गया। 21 और वे उस शहर में खुशखबरी सुनाने और कई चेले बनाने के बाद, लुस्त्रा और इकुनियुम और अंताकिया लौट गए। 22 वे चेलों की हिम्मत बँधाते रहे और उन्हें यह कहकर विश्‍वास में बने रहने का बढ़ावा देते रहे: “हमें बहुत तकलीफें झेलकर ही परमेश्‍वर के राज में दाखिल होना है।” 23 इसके अलावा, पौलुस और बरनबास ने हर मंडली में उनके लिए बुज़ुर्ग* ठहराए। उन्होंने इन बुज़ुर्गों को प्रार्थना और उपवास कर यहोवा के हाथ सौंपा जिस पर वे विश्‍वास लाए थे।

24 और वे पिसिदिया के इलाके से होते हुए पमफूलिया के प्रांत में पहुँचे, 25 और पिरगा शहर में वचन सुनाने के बाद वे अत्तलिया कस्बे में आए। 26 और वहाँ से वे समुद्री जहाज़ पर चढ़कर अंताकिया गए। यह वही जगह थी जहाँ भाइयों ने पौलुस और बरनबास को इस भरोसे के साथ परमेश्‍वर के हवाले सौंप दिया था कि वह उन्हें महा-कृपा दिखाएगा जिससे वे अपना काम पूरा कर सकें। और अब वे यह काम पूरा कर चुके थे।

27 जब वे अंताकिया पहुँचे, तो उन्होंने मंडली को इकट्ठा किया और उन्हें बताने लगे कि परमेश्‍वर ने उनके ज़रिए कैसे-कैसे काम किए और किस तरह उसने गैर-यहूदियों के लिए विश्‍वास को अपनाने का रास्ता* खोल दिया है। 28 और उन्होंने वहाँ चेलों के साथ काफी वक्‍त बिताया।

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