27 इससे अच्छा है कि हम उसे इन इश्माएलियों के हाथ बेच दें+ और उसकी जान न लें। आखिर वह हमारा भाई ही तो है, उसके साथ हमारा खून का रिश्ता है।” उन्होंने अपने भाई यहूदा की बात मान ली।
35 उसके सब बेटे-बेटियाँ उसे दिलासा देते रहे, मगर उसका दुख बिलकुल कम न हुआ। वह कहता, “मैं कब्र*+ में जाने तक अपने बेटे के लिए मातम मनाता रहूँगा।” इस तरह यूसुफ का पिता उसके लिए रोता रहा।
20 हमने कहा, ‘हाँ, हमारा पिता है, वह बूढ़ा हो गया है और एक भाई भी है, सबसे छोटा।+ वह हमारे पिता के बुढ़ापे में पैदा हुआ था। उसका एक सगा भाई था जो मर गया है,+ इसलिए वह अब अपनी माँ का अकेला रह गया है।+ उसका पिता उससे बेहद प्यार करता है।’