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निर्गमन 25:31-39पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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31 तू शुद्ध सोने की एक दीवट बनाना।+ सोने को हथौड़े से पीटकर यह दीवट बनाना। दीवट का पाया, उसकी डंडी, डालियाँ, फूल, कलियाँ और पंखुड़ियाँ, ये सब सोने के एक ही टुकड़े के बने हों।+ 32 दीवट की डंडी के दोनों तरफ से छ: डालियाँ निकलेंगी, एक तरफ से तीन और दूसरी तरफ से तीन। 33 हर डाली पर बादाम के फूल जैसे तीन फूलों की बनावट होनी चाहिए। और इन फूलों के बीच एक कली और एक पंखुड़ी की रचना होनी चाहिए। इस तरह की रचनाएँ दीवट की डंडी से निकलनेवाली छ: की छ: डालियों पर होनी चाहिए। 34 दीवट की डंडी पर बादाम के फूल जैसे चार फूलों की बनावट होनी चाहिए और फूलों के बीच एक कली और एक पंखुड़ी होनी चाहिए। 35 दीवट की डंडी के जिस हिस्से से डालियों का पहला जोड़ा निकलता है उसके नीचे एक कली जैसी रचना होनी चाहिए। इसी तरह जहाँ से डालियों का दूसरा और तीसरा जोड़ा निकलता है, उसके नीचे भी एक-एक कली जैसी रचना होनी चाहिए। कली जैसी रचनाएँ सभी छ: डालियों के नीचे होनी चाहिए। 36 शुद्ध सोने के एक ही टुकड़े को हथौड़े से पीटकर कलियाँ, डालियाँ और पूरी दीवट बनाना।+ 37 दीवट पर रखने के लिए सात दीए बनाना जिनके जलने से सामने की पूरी जगह रौशन हो जाएगी।+ 38 दीवट के चिमटे और आग उठाने के करछे शुद्ध सोने से बनाए जाएँ।+ 39 दीवट और ये सारी चीज़ें एक तोड़े* शुद्ध सोने से बनायी जाएँ।
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