15 क्योंकि इन लोगों का मन सुन्न हो चुका है। वे अपने कानों से सुनते तो हैं, मगर कुछ करते नहीं। उन्होंने अपनी आँखें मूँद ली हैं ताकि न वे कभी अपनी आँखों से देखें, न अपने कानों से सुनें और न कभी उनका मन इसके मायने समझे और न वे पलटकर लौट आएँ और मैं उन्हें चंगा करूँ।’+