15 ‘शापित है वह इंसान जो मूरत तराशता है+ या धातु की मूरत* बनाता है+ और उसे छिपाकर रखता है, क्योंकि कारीगर* के हाथ की ऐसी रचना यहोवा की नज़र में घिनौनी है।’+ (तब जवाब में सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’*)
15 लेकिन अगर तुम अपने परमेश्वर यहोवा की सभी आज्ञाओं और विधियों को सख्ती से नहीं मानोगे जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ और इस तरह उसकी बात नहीं सुनोगे, तो ये सारे शाप तुम पर आ पड़ेंगे:+