15 तब सब लोग गिलगाल गए और वहाँ उन्होंने यहोवा के सामने शाऊल को राजा बनाया। फिर उन्होंने यहोवा के सामने शांति-बलियाँ चढ़ायीं+ और शाऊल और इसराएल के सभी आदमियों ने खुशी से जश्न मनाया।+
13 तब शमूएल ने शाऊल से कहा, “तूने बड़ी मूर्खता का काम किया है। तूने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा नहीं मानी।+ अगर मानी होती, तो यहोवा इसराएल पर तेरा राज सदा कायम रखता।
26 मगर शमूएल ने शाऊल से कहा, “मैं तेरे साथ नहीं आऊँगा, क्योंकि तूने यहोवा की आज्ञा ठुकरा दी है और यहोवा ने भी तुझे ठुकरा दिया है और तू इसराएल पर आगे राजा नहीं रहेगा।”+
7 आखिर में शाऊल ने अपने सेवकों से कहा, “मेरे लिए एक ऐसी औरत का पता लगाओ जो मरे हुओं से संपर्क करती हो।+ मैं जाकर उससे सलाह करूँगा।” उसके सेवकों ने कहा, “एन्दोर+ में एक औरत रहती है जो मरे हुओं से संपर्क करती है।”
4 तब शाऊल ने अपने हथियार ढोनेवाले सैनिक से कहा, “तू अपनी तलवार निकालकर मुझे घोंप दे ताकि ये खतनारहित आदमी+ मुझे न घोंपें और बेरहमी से न मारें।”* मगर उसके सैनिक ने इनकार कर दिया क्योंकि ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हुई। तब शाऊल ने अपनी तलवार ली और खुद उस पर गिर गया।+