39 तो तू अपने निवास-स्थान स्वर्ग से उनकी सुनना,+ उन्हें माफ करना+ और कदम उठाना। तू उनमें से हरेक को उसके कामों के हिसाब से फल देना+ क्योंकि तू हरेक का दिल जानता है (सिर्फ तू ही सही मायनों में जानता है कि हर इंसान का दिल कैसा है)।+
9 और मेरे बेटे सुलैमान, तू अपने पिता के परमेश्वर को जान और पूरे* दिल से और खुशी-खुशी उसकी सेवा कर,+ क्योंकि यहोवा सबके दिलों को जाँचता है+ और मन के हर विचार और इरादे को जानता है।+ अगर तू उसकी खोज करेगा तो वह तुझे मिलेगा।+ लेकिन अगर तू उसे छोड़ देगा, तो वह तुझे हमेशा के लिए ठुकरा देगा।+