2 “तू दो तुरहियाँ बनवाना।+ चाँदी को हथौड़े से पीटकर ये तुरहियाँ बनायी जाएँ। जब भी मंडली के लोगों को बताना हो कि वे सब एक जगह इकट्ठा हो जाएँ या सभी अपने पड़ाव उठाकर आगे बढ़ें, तो ये तुरहियाँ फूँककर इसका ऐलान करना।
12 तो आसाप,+ हेमान,+ यदूतून+ और उनके बेटों और भाइयों के दलों के सभी लेवी गायक+ बेहतरीन कपड़े पहने झाँझ, तारोंवाले बाजे और सुरमंडल बजाते हुए वेदी के पूरब में खड़े थे। उनके साथ 120 याजक तुरहियाँ फूँकते हुए खड़े थे।+