7 फिर यहोवा ने उससे कहा, “मैंने बेशक देखा है कि मिस्र में मेरे लोग कितनी दुख-तकलीफें झेल रहे हैं। मैंने उनका रोना-बिलखना सुना है क्योंकि मिस्र में उनसे जबरन मज़दूरी करवायी जा रही है। मैं अपने लोगों का दुख अच्छी तरह समझ सकता हूँ।+
7 तो क्या परमेश्वर अपने चुने हुओं की खातिर इंसाफ नहीं करेगा, जो दिन-रात उससे फरियाद करते हैं?+ भले ही परमेश्वर उनके मामले में सब्र से काम लेता है, मगर वह उनकी ज़रूर सुनेगा।+