44 तू मुझे मेरे अपने लोगों के विरोध से भी बचाएगा,+
तू मेरी हिफाज़त करेगा ताकि मैं राष्ट्रों का मुखिया बनूँ,+
जिन लोगों को मैं जानता तक नहीं वे मेरी सेवा करेंगे।+
45 परदेसी डरते-काँपते मेरे सामने आएँगे,+
वे मेरे बारे में जो सुनते हैं, वह उन्हें उभारेगा कि मेरी आज्ञा मानें।
46 परदेसी हिम्मत हार जाएँगे,
अपने किलों से थरथराते हुए बाहर निकलेंगे।