13 मूर्ख औरत बकबक तो करती है,+
मगर जानती कुछ नहीं, बिना जाने बोलती रहती है।
14 वह शहर की ऊँची-ऊँची जगह पर,
अपने घर के सामने बैठी,+
15 आने-जानेवालों को आवाज़ लगाती है,
अपने रास्ते पर सीधे जा रहे लोगों से कहती है,
16 “जो नादान हैं, वे इधर आएँ।”
जिनमें समझ नहीं, उनसे वह कहती है,+
17 “चोरी का पानी मीठा होता है!
लुक-छिपकर खाने का मज़ा ही कुछ और है!”+
18 लेकिन उनको नहीं पता कि उसका घर मुरदों का घर है
और उसके मेहमान कब्र की गहराइयों में पड़े हैं।+