6 हे आलसी,+ चींटी के पास जा,
उसके तौर-तरीके देख और बुद्धिमान बन।
7 उसका न तो सेनापति होता है,
न कोई अधिकारी, न ही शासक,
8 फिर भी वह गरमियों में अपने खाने का इंतज़ाम करती है,+
कटनी के समय खाने की चीज़ें बटोरती है।
9 हे आलसी, तू कब तक पड़ा रहेगा?
नींद से कब जागेगा?
10 थोड़ी देर और सो ले, एक और झपकी ले ले,
हाथ बाँधकर थोड़ा सुस्ता ले,+
11 तब गरीबी, लुटेरे की तरह तुझ पर टूट पड़ेगी,
तंगी, हथियारबंद आदमी की तरह हमला बोल देगी।+