41 इसके बाद से एसाव अपने मन में याकूब के लिए नफरत पालने लगा, क्योंकि याकूब ने पिता से आशीर्वाद ले लिया था।+ एसाव खुद से कहता था, “बस कुछ ही समय की बात है, मेरे पिता की मौत हो जाएगी,*+ फिर मैं अपने भाई याकूब को जान से मार डालूँगा।”
31 जब तक यिशै का वह बेटा ज़िंदा रहेगा तू राजा नहीं बन पाएगा और तेरा राज कायम नहीं रहेगा।+ इसलिए जल्दी से भेज किसी को और उसे वापस ले आ। उसे मरना ही होगा।”*+
11 इसलिए कि शुरू से तुमने यही संदेश सुना है कि हमें एक-दूसरे से प्यार करना चाहिए+12 और हमें कैन जैसा नहीं होना चाहिए जो शैतान* से था और जिसने अपने भाई का बेरहमी से कत्ल कर दिया।+ आखिर क्यों उसने उसका कत्ल किया? क्योंकि उसके खुद के काम दुष्ट थे+ मगर उसके भाई के काम नेक थे।+