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सभोपदेशक 2:2, 3पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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2 मैंने कहा, “हँसी-ठहाके लगाना तो पागलपन है।”
मैंने खुद से पूछा, “मौज-मस्ती करने* का क्या फायदा?”
3 मैंने सोचा, दाख-मदिरा का भी मज़ा लेकर देख लूँ।+ मगर मैंने अपना होश-हवास नहीं खोया। मैंने मूर्खता को भी गले लगाया। मैं जानना चाहता था कि आसमान के नीचे चंद दिनों की ज़िंदगी जीनेवाले इंसान के लिए क्या करना सबसे अच्छा होगा।
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