18 मैंने जिस बात को सही और अच्छा पाया वह यह है कि सच्चे परमेश्वर ने इंसान को जो ज़िंदगी दी है, उसमें वह खाए-पीए और धरती पर* अपनी सारी मेहनत से खुशी पाए।+ क्योंकि यही उसका इनाम है।+
15 इसलिए मैं कहता हूँ, खुशियाँ मनाओ+ क्योंकि दुनिया में* इंसान के लिए इससे अच्छा और कुछ नहीं कि वह खाए-पीए और खुशी मनाए। सच्चे परमेश्वर ने सूरज के नीचे उसे जो ज़िंदगी दी है उसमें खुशियाँ मनाने के साथ-साथ वह कड़ी मेहनत भी करे।+