9 हे नौजवान, अपनी जवानी में खुशियाँ मना और जवानी के दिनों में तेरा दिल खुश रहे। अपने दिल की सुन और तेरी आँखें तुझे जिधर ले जाएँ, उधर जा। मगर जान ले कि सच्चा परमेश्वर तेरे सभी कामों का तुझसे हिसाब लेगा।*+
36 मैं तुमसे कहता हूँ कि लोग जो भी निकम्मी बात बोलते हैं, उसके लिए उन्हें न्याय के दिन हिसाब देना होगा।+37 तुझे अपनी बातों की वजह से नेक ठहराया जाएगा या अपनी बातों की वजह से दोषी ठहराया जाएगा।”
31 क्योंकि उसने एक दिन तय किया है जब वह सच्चाई से सारी दुनिया का न्याय करेगा+ और इसके लिए उसने एक आदमी को ठहराया है। और सब इंसानों को इस बात का पक्का यकीन दिलाने* के लिए परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से ज़िंदा किया है।”+
10 क्योंकि हममें से हरेक को मसीह के न्याय-आसन के सामने हाज़िर होना पड़ेगा* ताकि हर किसी ने इस शरीर में रहकर जैसे काम किए हैं, फिर चाहे अच्छे हों या बुरे, उनके हिसाब से उसे बदला मिले।+