22 मैंने यही पाया कि इंसान के लिए इससे अच्छा और कुछ नहीं कि वह अपने काम से खुशी पाए+ क्योंकि यही उसका इनाम है। वरना कौन उसे दिखा सकता है कि उसके जाने के बाद क्या होगा?+
18 मैंने जिस बात को सही और अच्छा पाया वह यह है कि सच्चे परमेश्वर ने इंसान को जो ज़िंदगी दी है, उसमें वह खाए-पीए और धरती पर* अपनी सारी मेहनत से खुशी पाए।+ क्योंकि यही उसका इनाम है।+
9 अपनी प्यारी पत्नी के साथ अपनी छोटी-सी* ज़िंदगी का मज़ा ले।+ हाँ, जो छोटी-सी* ज़िंदगी परमेश्वर ने तुझे दी है उसमें ऐसा ही कर क्योंकि जीवन में तेरा यही हिस्सा है और सूरज के नीचे तेरी कड़ी मेहनत का यही इनाम है।+