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  • सभोपदेशक 3
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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सभोपदेशक का सारांश

      • हर चीज़ का एक समय होता है (1-8)

      • खुशहाल ज़िंदगी परमेश्‍वर की देन (9-15)

        • इंसान में हमेशा तक जीने का विचार (11)

      • परमेश्‍वर सच्चाई से न्याय करता है (16, 17)

      • आखिर में इंसान और जानवर, दोनों मर जाते हैं (18-22)

        • सब मिट्टी में मिल जाते हैं (20)

सभोपदेशक 3:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2009, पेज 24

    7/1/2009, पेज 4-6

    10/1/1999, पेज 5-6

    10/1/1986, पेज 16

सभोपदेशक 3:2

फुटनोट

  • *

    या “जन्म देने का समय।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए, लेख 80

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 1 2017, पेज 14

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2009, पेज 24

    7/1/2009, पेज 5-6

सभोपदेशक 3:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1999, पेज 6-8

    1/1/1993, पेज 29

    पारिवारिक सुख, पेज 98

    सजग होइए!,

    7/8/1996, पेज 10

सभोपदेशक 3:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1999, पेज 8-10

सभोपदेशक 3:7

संबंधित आयतें

  • +2शम 3:31
  • +भज 39:1
  • +1शम 19:4; 25:23, 24; एस 4:13, 14; भज 145:11; नीत 9:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    3/2020, पेज 18-23

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    7/2019, पेज 11-12

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2015, पेज 19-20

    5/15/2009, पेज 3-5

    10/1/1999, पेज 12-14

    12/1/1998, पेज 15-18

    5/15/1996, पेज 21-23

    11/1/1988, पेज 28-31

    पारिवारिक सुख, पेज 66

सभोपदेशक 3:8

संबंधित आयतें

  • +भज 139:21; रोम 12:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1999, पेज 10-12

सभोपदेशक 3:9

संबंधित आयतें

  • +सभ 1:3; 5:15, 16

सभोपदेशक 3:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/2009, पेज 5-6

सभोपदेशक 3:11

फुटनोट

  • *

    या “व्यवस्थित; उचित; सही।”

  • *

    शा., “को शुरू से लेकर आखिर तक।”

संबंधित आयतें

  • +उत 1:31; रोम 1:20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2023, पेज 21-22

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    12/2022, पेज 4

    यहोवा के करीब, पेज 319

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 25

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 3 2019, पेज 4

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 2 2016, पेज 5

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 1 2016, पेज 13

    4/1/2014, पेज 4-5

    7/1/2009, पेज 5-7

    11/1/2006, पेज 8-9

    6/1/2002, पेज 3

    4/15/1999, पेज 5-6

    4/1/1996, पेज 11-12

    12/1/1987, पेज 28-29

    सजग होइए!,

    10/2006, पेज 25

    संतोष से भरी ज़िंदगी, पेज 29

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 10

सभोपदेशक 3:12

संबंधित आयतें

  • +भज 37:3; 1थि 5:15

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2009, पेज 19

    2/15/1997, पेज 16-17

सभोपदेशक 3:13

संबंधित आयतें

  • +सभ 5:18, 19; यश 65:21, 22

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2009, पेज 19

    3/1/2006, पेज 17

    2/15/1997, पेज 16-17

    10/1/1990, पेज 4-7

सभोपदेशक 3:14

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 10:7; प्रक 15:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1987, पेज 28

सभोपदेशक 3:15

फुटनोट

  • *

    या शायद, “जो बीत चुका है।”

संबंधित आयतें

  • +सभ 1:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/2006, पेज 9

सभोपदेशक 3:16

फुटनोट

  • *

    शा., “सूरज के नीचे।”

संबंधित आयतें

  • +भज 82:2; 94:16, 21

सभोपदेशक 3:17

संबंधित आयतें

  • +सभ 12:14; प्रेष 17:31; रोम 2:5, 6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1999, पेज 14

सभोपदेशक 3:19

संबंधित आयतें

  • +अय 14:10; भज 39:5; 89:48
  • +उत 7:22; भज 104:29; सभ 12:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1997, पेज 10-11

    ज्ञान, पेज 82

सभोपदेशक 3:20

संबंधित आयतें

  • +सभ 9:10
  • +उत 2:7, 19
  • +उत 3:19; अय 10:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 29

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1997, पेज 10-11

    ज्ञान, पेज 82

सभोपदेशक 3:21

संबंधित आयतें

  • +भज 146:3, 4; सभ 3:19; 9:10

सभोपदेशक 3:22

संबंधित आयतें

  • +व्य 12:7; सभ 5:18
  • +अय 14:21; सभ 6:12

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

सभो. 3:72शम 3:31
सभो. 3:7भज 39:1
सभो. 3:71शम 19:4; 25:23, 24; एस 4:13, 14; भज 145:11; नीत 9:8
सभो. 3:8भज 139:21; रोम 12:9
सभो. 3:9सभ 1:3; 5:15, 16
सभो. 3:11उत 1:31; रोम 1:20
सभो. 3:12भज 37:3; 1थि 5:15
सभो. 3:13सभ 5:18, 19; यश 65:21, 22
सभो. 3:14यिर्म 10:7; प्रक 15:4
सभो. 3:15सभ 1:9
सभो. 3:16भज 82:2; 94:16, 21
सभो. 3:17सभ 12:14; प्रेष 17:31; रोम 2:5, 6
सभो. 3:19अय 14:10; भज 39:5; 89:48
सभो. 3:19उत 7:22; भज 104:29; सभ 12:7
सभो. 3:20सभ 9:10
सभो. 3:20उत 2:7, 19
सभो. 3:20उत 3:19; अय 10:9
सभो. 3:21भज 146:3, 4; सभ 3:19; 9:10
सभो. 3:22व्य 12:7; सभ 5:18
सभो. 3:22अय 14:21; सभ 6:12
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
सभोपदेशक 3:1-22

सभोपदेशक

3 हर चीज़ का एक समय होता है,

आसमान के नीचे हरेक काम का एक समय होता है:

 2 जन्म लेने का समय* और मरने का समय,

बोने का समय और बोए हुए को उखाड़ने का समय,

 3 मार डालने का समय और चंगा करने का समय,

ढा देने का समय और बनाने का समय,

 4 रोने का समय और हँसने का समय,

छाती पीटने का समय और नाचने का समय,

 5 पत्थर फेंकने का समय और पत्थरों को बटोरने का समय,

गले लगाने का समय और गले लगाने से दूर रहने का समय,

 6 ढूँढ़ने का समय और खोया हुआ मानकर छोड़ देने का समय,

रखने का समय और फेंकने का समय,

 7 फाड़ने का समय+ और सिलने का समय,

चुप रहने का समय+ और बोलने का समय,+

 8 प्यार करने का समय और नफरत करने का समय,+

युद्ध का समय और शांति का समय।

9 एक कामकाजी इंसान को अपनी सारी मेहनत से क्या मिलता है?+ 10 मैंने वे सारे काम देखे जो परमेश्‍वर ने इंसानों को दिए हैं कि वे उनमें लगे रहें। 11 परमेश्‍वर ने हर चीज़ को ऐसा बनाया है कि वह अपने समय पर सुंदर* लगती है।+ उसने इंसान के मन में हमेशा तक जीने का विचार भी डाला है। फिर भी वह सच्चे परमेश्‍वर के कामों को पूरी तरह* नहीं जान सकता।

12 मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इंसान के लिए इससे अच्छा और कुछ नहीं कि वह ज़िंदगी में खुश रहे और अच्छे काम करे।+ 13 साथ ही, वह खाए-पीए और अपनी मेहनत के सब कामों से खुशी पाए। यह परमेश्‍वर की देन है।+

14 मैं जान गया हूँ कि सच्चे परमेश्‍वर ने जो कुछ बनाया है वह हमेशा कायम रहेगा। इसमें न कुछ जोड़ा जा सकता है, न कुछ घटाया जा सकता है। सच्चे परमेश्‍वर ने सारी चीज़ें इस तरह बनायी हैं कि लोग उसका डर मानें।+

15 जो कुछ होता है, वह पहले भी हो चुका है और जो होनेवाला है वह भी हो चुका है।+ लेकिन सच्चा परमेश्‍वर उसे ढूँढ़ता है जिसका पीछा किया जा रहा है।*

16 मैंने दुनिया में* यह भी देखा: न्याय की जगह दुष्टता की जाती है और नेकी की जगह बुराई।+ 17 मैंने अपने मन में कहा, “सच्चा परमेश्‍वर नेक और दुष्ट दोनों का न्याय करेगा+ क्योंकि हर बात और हर काम का एक समय होता है।”

18 मैंने अपने दिल में यह भी कहा कि सच्चा परमेश्‍वर इंसान को परखेगा और उन्हें दिखा देगा कि इंसान जानवरों जैसे हैं 19 क्योंकि इंसानों और जानवरों का एक ही अंजाम होता है।+ जैसे जानवर मरता है वैसे ही इंसान भी मर जाता है। दोनों में जीवन की साँसें हैं।+ इंसान, जानवर से बढ़कर नहीं। इसलिए सबकुछ व्यर्थ है। 20 सब एक ही जगह जाते हैं।+ उन्हें मिट्टी से बनाया गया है+ और वे मिट्टी में मिल जाते हैं।+ 21 कौन जानता है कि इंसान की जीवन-शक्‍ति ऊपर जाती है और जानवर की नीचे ज़मीन में?+ 22 मैंने यही पाया कि इंसान के लिए इससे अच्छा और कुछ नहीं कि वह अपने काम से खुशी पाए+ क्योंकि यही उसका इनाम है। वरना कौन उसे दिखा सकता है कि उसके जाने के बाद क्या होगा?+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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