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श्रेष्ठगीत 4:1-3पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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4 “ओ मेरी सजनी, तू कितनी खूबसूरत है,
तेरी खूबसूरती का जवाब नहीं!
घूँघट से झाँकती तेरी आँखें फाख्ते जैसी हैं।
तेरी ज़ुल्फें गिलाद के पहाड़ों से उतरती बकरियों के झुंड जैसी हैं।+
2 तेरे दाँत उन उजली भेड़ों के समान हैं,
जिनका ऊन अभी-अभी कतरा गया है
और जो नहाकर पानी से बाहर आयी हैं।
वे सभी एक सीध में हैं, हरेक का जोड़ीदार है,
उनमें से कोई भी छूटा नहीं है।
3 तेरे होंठ सुर्ख लाल धागे जैसे हैं,
तेरी बातें मन को मीठी लगती हैं,
घूँघट में तेरे गालों* की चमक,
अनार की फाँक जैसी है।
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