27 उस खाने के लिए काम मत करो जो नष्ट हो जाता है, बल्कि उस खाने के लिए काम करो जो नष्ट नहीं होता और हमेशा की ज़िंदगी देता है,+ वही खाना जो तुम्हें इंसान का बेटा देगा। क्योंकि पिता यानी परमेश्वर ने खुद उसी बेटे पर अपनी मंज़ूरी की मुहर लगायी है।”+
17 इसलिए कि उसने परमेश्वर यानी हमारे पिता से आदर और महिमा पायी, जब उस महाप्रतापी ने उससे यह कहा,* “यह मेरा प्यारा बेटा है जिसे मैंने खुद मंज़ूर किया है।”+