26 मैं तुम्हारे यहाँ खाने की ऐसी तंगी फैला दूँगा*+ कि दस औरतों के रोटी सेंकने के लिए एक तंदूर काफी होगा और तुम्हें रोटी तौल-तौलकर बाँटी जाएगी।+ तुम रोटी खाओगे तो सही, मगर तुम्हारी भूख नहीं मिटेगी।+
49 यहोवा दूर से, धरती के छोर से एक राष्ट्र को तुम्हारे खिलाफ भेजेगा,+ जो उकाब की तरह तुम पर अचानक झपट पड़ेगा।+ वह ऐसा राष्ट्र होगा जिसकी भाषा तुम नहीं समझते,+
51 उस राष्ट्र के लोग आकर तुम्हारे झुंड के बछड़े और मेम्ने और तुम्हारी ज़मीन की सारी उपज खा जाएँगे और ऐसा तब तक करते रहेंगे जब तक कि तुम मिट नहीं जाते। वे तुम्हारे लिए ज़रा भी अनाज, नयी दाख-मदिरा या तेल या एक भी बछड़ा या मेम्ना तक नहीं छोड़ेंगे और तुम्हें तबाह करके ही रहेंगे।+
21 इसलिए राजा सिदकियाह ने आदेश दिया कि यिर्मयाह को ‘पहरेदारों के आँगन’ में बंद किया जाए।+ वहाँ उसे हर दिन एक गोल रोटी दी जाती थी, जो नानबाइयों की गली से लायी जाती थी।+ जब तक शहर में रोटी थी तब तक यिर्मयाह को रोटी मिलती रही।+ यिर्मयाह ‘पहरेदारों के आँगन’ में ही रहा।
16 फिर उसने कहा, “इंसान के बेटे, मैं यरूशलेम में खाने की तंगी फैलाने जा रहा हूँ।*+ लोग चिंता में डूबे हुए तौल-तौलकर रोटी खाएँगे+ और खौफ में जीते हुए नाप-नापकर पानी पीया करेंगे।+