30 जब तेरा यह सेवक और तेरी प्रजा इसराएल के लोग इस जगह की तरफ मुँह करके तुझसे कृपा की बिनती करें तो तू उनकी सुनना, अपने निवास-स्थान स्वर्ग से उनकी सुनना।+ तू उनकी फरियाद सुनना और उनके पाप माफ करना।+
20 तूने इस भवन के बारे में कहा था कि इससे तेरा नाम जुड़ा रहेगा,+ इसलिए तेरी आँखें दिन-रात इस भवन पर लगी रहें और जब तेरा सेवक इस भवन की तरफ मुँह करके प्रार्थना करे तो तू उस पर ध्यान देना।
9 ‘अगर हम तलवार चलने, कड़ी सज़ा पाने या महामारी या अकाल की वजह से संकट में पड़ जाएँ, तो हमें इस भवन के सामने और तेरे सामने खड़े होने दे (क्योंकि तेरा नाम इस भवन से जुड़ा है)+ और तुझे मदद के लिए पुकारने दे और तू हमारी सुने और हमें बचाए।’+