15 जब मुझे गुप्त में बनाया जा रहा था,
मुझे मानो धरती की गहराइयों में बुना जा रहा था,
तब मेरी हड्डियाँ तुझसे छिपी न थीं।+
16 तेरी आँखों ने मुझे तभी देखा था जब मैं बस एक भ्रूण था,
इससे पहले कि उसके सारे अंग बनते,
उनके बारे में तेरी किताब में लिखा था
कि कब उनकी रचना होगी।