5 क्या तुम बड़े-बड़े पेड़ों+ के नीचे,
हर घने पेड़ के नीचे+ काम-इच्छा से मचल नहीं उठते?
क्या तुम घाटियों में, खड़ी चट्टान की दरारों में,
अपने बच्चों की बलि नहीं चढ़ाते?+
6 तूने घाटी के चिकने-चिकने पत्थरों को चुन लिया है,+
वही तेरा हिस्सा हैं।
उन्हीं को तू अर्घ चढ़ाती और भेंट के चढ़ावे देती है।+
क्या यह सब देखकर मैं खुश होऊँगा?