16 मैं तेरे वंश को इतना बढ़ाऊँगा कि उनकी गिनती धूल के कणों की तरह अनगिनत हो जाएगी। जैसे कोई धूल के कणों को नहीं गिन सकता, वैसे ही तेरे वंश को भी कोई नहीं गिन पाएगा।+
17 कि मैं तुझे ज़रूर आशीष दूँगा और तेरे वंश* को इतना बढ़ाऊँगा कि वह आसमान के तारों और समुंदर किनारे की बालू के किनकों जैसा अनगिनत हो जाएगा।+ और तेरा वंश* अपने दुश्मनों के शहरों* को अपने अधिकार में कर लेगा।+