8 यह मिस्र है जो नील नदी की तरह उमड़ता हुआ आ रहा है,+
उफनती नदियों की तरह बढ़ा आ रहा है
और कहता है, ‘मैं उमड़ पड़ूँगा, सारी धरती ढाँप दूँगा।
इस शहर और इसमें रहनेवालों को नाश कर दूँगा।’
9 घोड़ो, आगे बढ़ो!
रथो, तेज़ी से दौड़ो!
योद्धाओं को आगे बढ़ने दो,
कूश और पुट को आगे बढ़ने दो, जो ढाल पकड़े हुए हैं,+
लूदियों+ को आगे बढ़ने दो, जो कमान चढ़ाते और कुशलता से तीर चलाते हैं।+