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  • मरकुस 3:1-6
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 3 एक बार फिर वह सभा-घर में गया। वहाँ एक ऐसा आदमी था जिसका एक हाथ सूखा हुआ था।*+ 2 फरीसी यीशु पर नज़र जमाए हुए थे कि देखें, वह उस आदमी को सब्त के दिन ठीक करता है या नहीं ताकि वे उस पर इलज़ाम लगा सकें। 3 तब उसने सूखे हाथवाले आदमी* से कहा, “उठ और यहाँ बीच में आ।” 4 फिर उसने उनसे पूछा, “परमेश्‍वर के कानून के हिसाब से सब्त के दिन क्या करना सही है, किसी का भला करना या बुरा करना? किसी की जान बचाना या किसी की जान लेना?”+ मगर वे चुप रहे। 5 उनके दिलों की कठोरता+ देखकर यीशु बहुत दुखी हुआ और उसने गुस्से से भरकर उन सबको देखा और उस आदमी से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” जब उसने हाथ आगे बढ़ाया तो उसका हाथ ठीक हो गया। 6 यह देखकर फरीसी बाहर निकल गए और उसी वक्‍त हेरोदेस के गुट के लोगों के साथ मिलकर यीशु को मार डालने की साज़िश करने लगे।+

  • लूका 6:6-11
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 6 एक और सब्त के दिन+ यीशु सभा-घर में गया और सिखाने लगा। वहाँ एक आदमी था जिसका दायाँ हाथ सूखा हुआ था।*+ 7 शास्त्री और फरीसी यीशु पर नज़र जमाए हुए थे कि देखें, वह सब्त के दिन बीमारों को ठीक करता है या नहीं ताकि किसी तरह उस पर इलज़ाम लगा सकें। 8 पर यीशु जानता था कि वे अपने मन में क्या सोच रहे हैं,+ इसलिए उसने सूखे हाथवाले आदमी* से कहा, “उठकर यहाँ आ और बीच में खड़ा हो जा।” तब वह आदमी उठा और जाकर बीच में खड़ा हो गया। 9 फिर यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम लोगों से पूछता हूँ, परमेश्‍वर के कानून के हिसाब से सब्त के दिन क्या करना सही है, किसी का भला करना या बुरा करना? किसी की जान बचाना या किसी की जान लेना?”+ 10 फिर यीशु ने चारों तरफ सब पर नज़र डाली और उस आदमी से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” उसने ऐसा ही किया और उसका हाथ ठीक हो गया। 11 मगर शास्त्री और फरीसी गुस्से से पागल हो गए और एक-दूसरे से सलाह करने लगे कि उन्हें यीशु के साथ क्या करना चाहिए।

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