22 जो काँटों के बीच बोया गया है, यह वह इंसान है जो वचन को सुनता तो है, मगर इस ज़माने* की ज़िंदगी की चिंता+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत वचन को दबा देती है और वह फल नहीं देता।+
14 और जो बीज काँटों में गिरे, वे ऐसे लोग हैं जो वचन सुनते तो हैं, मगर इस ज़िंदगी की चिंताएँ, धन-दौलत+ और ऐशो-आराम उन्हें भटका देता है+ और वे इनसे पूरी तरह दब जाते हैं और अच्छे फल नहीं पैदा करते।+