22 जो काँटों के बीच बोया गया है, यह वह इंसान है जो वचन को सुनता तो है, मगर इस ज़माने* की ज़िंदगी की चिंता+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत वचन को दबा देती है और वह फल नहीं देता।+
18 कुछ और बीज काँटों में बोए गए। वे ऐसे लोग हैं जो वचन सुनते तो हैं,+19 मगर इस ज़माने* की ज़िंदगी की चिंताएँ+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत+ और बाकी सब चीज़ों की चाहत+ उनमें समा जाती है और वचन को दबा देती है और वे फल नहीं देते।