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  • मत्ती 20:26-28
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 26 मगर तुम्हारे बीच ऐसा नहीं होना चाहिए,+ बल्कि तुममें जो बड़ा बनना चाहता है, उसे तुम्हारा सेवक होना चाहिए+ 27 और जो कोई तुममें पहला होना चाहता है, उसे तुम्हारा दास होना चाहिए।+ 28 जैसे इंसान का बेटा भी सेवा करवाने नहीं, बल्कि सेवा करने आया है+ और इसलिए आया है कि बहुतों की फिरौती के लिए अपनी जान बदले में दे।”+

  • मरकुस 10:43-45
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 43 मगर तुम्हारे बीच ऐसा नहीं होना चाहिए, बल्कि तुममें जो बड़ा बनना चाहता है, उसे तुम्हारा सेवक होना चाहिए+ 44 और जो कोई तुममें पहला होना चाहता है, उसे सबका दास होना चाहिए 45 क्योंकि इंसान का बेटा भी सेवा करवाने नहीं, बल्कि सेवा करने आया है+ और इसलिए आया है कि बहुतों की फिरौती के लिए अपनी जान बदले में दे।”+

  • फिलिप्पियों 2:8, 9
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 8 इतना ही नहीं, जब वह इंसान बनकर आया* तो उसने खुद को नम्र किया और इस हद तक आज्ञा मानी कि उसने मौत भी,+ हाँ, यातना के काठ* पर मौत भी सह ली।+ 9 इसी वजह से परमेश्‍वर ने उसे पहले से भी ऊँचा पद देकर महान किया+ और कृपा करके उसे वह नाम दिया जो दूसरे हर नाम से महान है+

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