3 यही नहीं, हम दुख-तकलीफें झेलते हुए भी खुशी मनाएँ*+ क्योंकि हम जानते हैं कि दुख-तकलीफों से धीरज पैदा होता है+4 और धीरज धरने से परमेश्वर की मंज़ूरी हम पर बनी रहती है+ और इस वजह से हमें आशा मिलती है।+
5 इसी वजह से तुम जी-जान से कोशिश करो+ कि अपने विश्वास के साथ सद्गुण बढ़ाओ,+ सद्गुण के साथ ज्ञान,+6 ज्ञान के साथ संयम, संयम+ के साथ धीरज, धीरज के साथ परमेश्वर की भक्ति,+