6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी पुरानी शख्सियत उसके साथ काठ पर ठोंक दी गयी+ ताकि हमारे पापी शरीर का हम पर अधिकार खत्म हो जाए+ और अब से हम पाप के दास न रहें।+
16 क्या तुम नहीं जानते कि अगर तुम किसी की आज्ञा मानने के लिए खुद को गुलामों की तरह उसके हवाले करते हो, तो उसी के गुलाम बन जाते हो?+ फिर चाहे पाप के गुलाम+ जिससे मौत मिलती है,+ या आज्ञा मानने के गुलाम जिससे नेक ठहराया जाता है।