41 वह उनसे कुछ दूर* आगे गया और घुटने टेककर यह प्रार्थना करने लगा, 42 “हे पिता, अगर तेरी मरज़ी हो, तो यह प्याला मेरे सामने से हटा दे। मगर मेरी मरज़ी नहीं बल्कि तेरी मरज़ी पूरी हो।”+
7 जब मसीह इस धरती पर ज़िंदा था, तो उसने ऊँची आवाज़ में पुकार-पुकारकर और आँसू बहा-बहाकर परमेश्वर से मिन्नतें और बिनतियाँ की थीं+ जो उसे मौत से बचा सकता था। और उसकी सुनी गयी क्योंकि वह परमेश्वर का डर मानता था।