12 तब तुम मगन होना और खुशियाँ मनाना+ इसलिए कि स्वर्ग में तुम्हारे लिए बड़ा इनाम है।+ उन्होंने तुमसे पहले के भविष्यवक्ताओं पर भी इसी तरह ज़ुल्म ढाए थे।+
10 मैं मसीह की खातिर कमज़ोरियों में, बेइज़्ज़ती में, तंगी में, ज़ुल्मों और मुश्किलों में खुश होता हूँ। क्योंकि जब मैं कमज़ोर होता हूँ, तभी ताकतवर होता हूँ।+
34 तुमने उन लोगों के साथ हमदर्दी जतायी जो कैद में थे। और जब तुम्हारी चीज़ें लूटी गयीं तो तुमने खुशी से यह सह लिया+ क्योंकि तुम जानते थे कि तुम्हारे पास ऐसी संपत्ति है जो कहीं बेहतर है और सदा कायम रहेगी।+
13 इसके बजाय, तुम इस बात पर खुशी मनाओ+ कि तुम इस हद तक मसीह की दुख-तकलीफों में साझेदार बन रहे हो+ ताकि जब उसकी महिमा प्रकट होगी तब तुम्हें और ज़्यादा खुशियाँ मिलें और तुम आनंद से भर जाओ।+