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  • प्रेषितों 20:22, 23
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 22 और अब देखो, मैं पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन के मुताबिक यरूशलेम जाने के लिए मजबूर हूँ, हालाँकि मैं नहीं जानता कि वहाँ मुझ पर क्या-क्या बीतेगी। 23 मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि हर शहर में पवित्र शक्‍ति ने बार-बार मुझ पर ज़ाहिर किया कि कैद और मुसीबतें मेरी राह तक रहे हैं।+

  • प्रेषितों 21:11
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 11 उसने हमारे यहाँ आकर पौलुस का कमरबंद लिया और उससे अपने हाथ-पैर बाँधकर कहा, “पवित्र शक्‍ति कहती है, ‘जिस आदमी का यह कमरबंद है, उसे यहूदी इसी तरह यरूशलेम में बाँधेंगे+ और दूसरे राष्ट्रों के लोगों के हवाले कर देंगे।’”+

  • 2 कुरिंथियों 11:23-28
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 23 क्या वे मसीह के सेवक हैं? मैं पागलों की तरह चिल्ला-चिल्लाकर कहता हूँ, मैं उनसे कहीं बढ़कर हूँ: मैंने ज़्यादा मेहनत की है,+ मैं बार-बार जेल गया,+ कितनी ही बार मैंने मार खायी और कई बार मैं मरते-मरते बचा।+ 24 पाँच बार मैंने यहूदियों से उनतालीस-उनतालीस कोड़े खाए,+ 25 तीन बार मुझे डंडों से पीटा गया,+ एक बार मुझे पत्थरों से मारा गया,+ तीन बार ऐसा हुआ कि मैं जिन जहाज़ों में सफर कर रहा था वे समुंदर में टूट गए,+ एक रात और एक दिन मैंने समुंदर के बीच काटा। 26 मैं बार-बार सफर के खतरों से, नदियों के खतरों से, डाकुओं के खतरों से, अपने ही लोगों से आए खतरों से,+ दूसरे राष्ट्रों के लोगों से आए खतरों से,+ शहर के खतरों से,+ वीराने के खतरों से, समुंदर के खतरों से, झूठे भाइयों के बीच रहने के खतरों से गुज़रा हूँ। 27 मैंने कड़ी मेहनत और संघर्ष करने में, अकसर रात-रात भर जागते रहने में,+ भूख और प्यास में,+ कई बार भूखे पेट रहने में,+ ठंड में और कपड़ों की कमी* झेलते हुए दिन बिताए हैं।

      28 इन सब बातों के अलावा हर दिन सारी मंडलियों की चिंता मुझे खाए जाती है।+

  • कुलुस्सियों 1:24
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 24 मैं अब तुम्हारी खातिर दुख झेलने में खुशी मना रहा हूँ+ और मसीह के शरीर का हिस्सा होने के नाते वह दुख-तकलीफें सह रहा हूँ जिन्हें सहना बाकी रह गया है। यह सब मैं मसीह के शरीर यानी मंडली+ की खातिर सह रहा हूँ।+

  • 2 तीमुथियुस 1:12
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 12 इसी वजह से मैं ये सारे दुख उठा रहा हूँ,+ मगर मैं शर्मिंदा नहीं हूँ।+ क्योंकि मैंने जिस पर यकीन किया है उसे मैं जानता हूँ। और मुझे पूरा भरोसा है कि मैंने उसे जो अमानत सौंपी है उसकी वह उस दिन तक हिफाज़त करने के काबिल है।+

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