20 क्योंकि कानून में बताए कामों के आधार पर कोई भी इंसान परमेश्वर के सामने नेक नहीं ठहर सकता।+ वह इसलिए कि पाप क्या है इसका सही-सही ज्ञान कानून कराता है।+
11 तो फिर अगर लेवियों के याजकपद के ज़रिए वाकई परिपूर्णता हासिल की जाती,+ (जो कानून लोगों को दिया गया था उसका एक पहलू याजकपद था) तो क्या ज़रूरत थी कि एक और याजक ठहराया जाए जिसके बारे में कहा गया है कि वह मेल्कीसेदेक जैसा याजक हो+ न कि हारून जैसा?