20 क्योंकि कानून में बताए कामों के आधार पर कोई भी इंसान परमेश्वर के सामने नेक नहीं ठहर सकता।+ वह इसलिए कि पाप क्या है इसका सही-सही ज्ञान कानून कराता है।+
19 उस कानून ने कुछ भी परिपूर्ण नहीं किया+ मगर जब उससे भी बेहतर आशा+ दी गयी तो उससे परिपूर्ण होना मुमकिन हुआ और उसके ज़रिए हम परमेश्वर के करीब आ रहे हैं।+
9 यह तंबू आज के समय के लिए एक नमूना है+ और इस इंतज़ाम के मुताबिक भेंट और बलिदान चढ़ाए जाते हैं।+ मगर ये बलिदान और भेंट पवित्र सेवा करनेवाले इंसान को पूरी तरह से शुद्ध ज़मीर नहीं दे सकते।+
10कानून आनेवाली अच्छी बातों की बस एक छाया है,+ मगर असलियत नहीं। यह* साल-दर-साल चढ़ाए जानेवाले एक ही तरह के बलिदानों से परमेश्वर की उपासना करनेवालों को कभी परिपूर्ण नहीं बना सकता।+