3 मुझ पर जो महा-कृपा हुई है, उसके ज़रिए मैं तुममें से हरेक से जो वहाँ है, यह कहता हूँ कि कोई भी अपने आपको जितना समझना चाहिए, उससे बढ़कर न समझे।+ इसके बजाय परमेश्वर ने हरेक को जितना विश्वास दिया* है उसके मुताबिक वह सही सोच बनाए रखे।+
5 इसी तरह जवानो, मैं तुमसे गुज़ारिश करता हूँ कि बुज़ुर्गों* के अधीन रहो।+ और तुम सब एक-दूसरे के साथ नम्रता से पेश आओ* क्योंकि परमेश्वर घमंडियों का विरोध करता है, मगर नम्र लोगों पर महा-कृपा करता है।+