15 परमेश्वर की पवित्र शक्ति न तो हमें गुलाम बनाती है, न ही हमारे अंदर डर पैदा करती है, बल्कि इसके ज़रिए हम बेटों के नाते गोद लिए जाते हैं और यही पवित्र शक्ति हमें “अब्बा,* हे पिता!” पुकारने के लिए उभारती है।+
2 जैसा कि तुम जानते हो, हमने फिलिप्पी में बहुत दुख झेले और हमारी बेइज़्ज़ती की गयी थी,+ फिर भी अपने परमेश्वर की मदद से हमने हिम्मत जुटायी ताकि काफी विरोध के बावजूद* तुम्हें उसकी खुशखबरी सुना सकें।+