35 इसके बजाय अपने दुश्मनों से प्यार करते रहो और भलाई करते रहो और उधार देते रहो और बदले में कुछ भी पाने की उम्मीद मत करो।+ इसका तुम्हें बड़ा इनाम मिलेगा और तुम परम-प्रधान के बेटे ठहरोगे, क्योंकि वह एहसान न माननेवालों और दुष्टों पर भी कृपा करता है।+
4 क्या तू परमेश्वर की कृपा+ और उसके बरदाश्त करने+ और सब्र से पेश आने के गुण को+ तुच्छ समझ रहा है? क्या तू नहीं जानता कि परमेश्वर तुझ पर कृपा करके तुझे पश्चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहा है?+
32 इसके बजाय, एक-दूसरे के साथ कृपा से पेश आओ और कोमल करुणा दिखाते हुए+ एक-दूसरे को दिल से माफ करो, ठीक जैसे परमेश्वर ने भी मसीह के ज़रिए तुम्हें दिल से माफ किया है।+