34 कौन उन्हें सज़ा के लायक ठहरा सकता है? कोई नहीं। क्योंकि मसीह यीशु ने अपनी जान दी, यही नहीं, उसे मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया, वह परमेश्वर के दाएँ हाथ बैठा है+ और वही हमारी खातिर बिनती भी करता है।+
24 क्योंकि मसीह, इंसान के हाथ की बनायी किसी पवित्र जगह में दाखिल नहीं हुआ+ जो असल की बस एक नकल है,+ बल्कि वह स्वर्ग ही में दाखिल हुआ+ इसलिए अब वह हमारी खातिर परमेश्वर के सामने* हाज़िर है।+
2मेरे प्यारे बच्चो, मैं तुम्हें ये बातें इसलिए लिख रहा हूँ ताकि तुम कोई पाप न करो। और अगर कोई पाप कर बैठे, तो हमारे लिए एक मददगार* है जो पिता के पास है यानी यीशु मसीह+ जो नेक है।+