16 इसलिए कोई भी इंसान तुम्हारे लिए तय न करे कि तुम्हें क्या खाना-पीना चाहिए+ या तुम्हें कोई त्योहार, नए चाँद का दिन+ या सब्त मनाना चाहिए या नहीं।+17 क्योंकि ये सब आनेवाली बातों की छाया थीं+ मगर हकीकत मसीह की है।+
10कानून आनेवाली अच्छी बातों की बस एक छाया है,+ मगर असलियत नहीं। यह* साल-दर-साल चढ़ाए जानेवाले एक ही तरह के बलिदानों से परमेश्वर की उपासना करनेवालों को कभी परिपूर्ण नहीं बना सकता।+