25 परमेश्वर ने मसीह को बलिदान के तौर पर दे दिया+ ताकि मसीह के खून पर विश्वास करने से+ पापों का प्रायश्चित* हो। ऐसा उसने खुद को नेक साबित करने के लिए किया क्योंकि बीते ज़माने में उसने लोगों के पापों को बरदाश्त किया और उन्हें माफ करता रहा।
17 इसीलिए ज़रूरी था कि वह हर मायने में अपने भाइयों जैसा बने+ ताकि वह परमेश्वर से जुड़ी बातों में एक दयालु और विश्वासयोग्य महायाजक बन सके और लोगों के पापों के लिए+ सुलह करानेवाला बलिदान चढ़ाए।*+
24 जब उसे काठ* पर ठोंक दिया गया था+ तो उसने हमारे पापों को अपने शरीर पर उठा लिया+ ताकि हम अपने पापों से आज़ाद हों और नेक काम करने के लिए जीएँ। और “उसके घाव से तुम चंगे हुए।”+
10 ऐसा नहीं कि हमने परमेश्वर से प्यार किया था और बदले में उसने हमसे प्यार किया, बल्कि उसी ने हमसे प्यार किया और अपने बेटे को भेजा ताकि वह हमारे पापों के लिए अपना बलिदान देकर परमेश्वर से हमारी सुलह कराए।*+