17गिलाद+ के तिशबे के रहनेवाले एलियाह*+ ने अहाब से कहा, “इसराएल के परमेश्वर यहोवा के जीवन की शपथ, जिसकी मैं सेवा करता हूँ,* अब से आनेवाले सालों में देश में न ओस की बूँदें गिरेंगी, न बारिश होगी! जब तक मैं न कहूँ, तब तक ऐसा ही रहेगा।”+
17 एलियाह भी हमारी तरह एक इंसान था, जिसमें हमारे जैसी भावनाएँ थीं। फिर भी जब उसने दिलो-जान से प्रार्थना की कि बारिश न हो, तो देश में साढ़े तीन साल तक बारिश नहीं हुई।+