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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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उत्पत्ति का सारांश

      • जहाज़ के अंदर जाना (1-10)

      • सारी धरती पर जलप्रलय (11-24)

उत्पत्ति 7:1

संबंधित आयतें

  • +उत 6:9; इब्र 10:38; 11:7; 1पत 3:12; 2पत 2:5, 9

उत्पत्ति 7:2

फुटनोट

  • *

    या शायद, “हर शुद्ध जानवर के सात जोड़े।”

संबंधित आयतें

  • +उत 8:20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2004, पेज 29

उत्पत्ति 7:3

फुटनोट

  • *

    या शायद, “आसमान में उड़नेवाले पंछियों और कीट-पतंगों के सात जोड़े।”

संबंधित आयतें

  • +उत 7:23; 8:19

उत्पत्ति 7:4

संबंधित आयतें

  • +उत 7:11, 12
  • +उत 2:5
  • +उत 6:7, 17

उत्पत्ति 7:6

संबंधित आयतें

  • +उत 8:13

उत्पत्ति 7:7

संबंधित आयतें

  • +लूक 17:27; इब्र 11:7

उत्पत्ति 7:8

संबंधित आयतें

  • +उत 6:19, 20

उत्पत्ति 7:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    विश्‍वास की मिसाल, पेज 22-23

उत्पत्ति 7:11

संबंधित आयतें

  • +उत 1:7; 8:2

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2004, पेज 30

उत्पत्ति 7:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2013, पेज 10

उत्पत्ति 7:13

संबंधित आयतें

  • +उत 9:18; 1इत 1:4
  • +उत 6:18; 1पत 3:20; 2पत 2:5

उत्पत्ति 7:15

फुटनोट

  • *

    या “जीवन-शक्‍ति।”

उत्पत्ति 7:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2013, पेज 11-12

उत्पत्ति 7:19

संबंधित आयतें

  • +2पत 3:5, 6

उत्पत्ति 7:20

फुटनोट

  • *

    एक हाथ 44.5 सें.मी. (17.5 इंच) के बराबर था। अति. ख14 देखें।

उत्पत्ति 7:21

संबंधित आयतें

  • +उत 6:7, 17
  • +लूक 17:27

उत्पत्ति 7:22

फुटनोट

  • *

    या “जीवन-शक्‍ति।”

संबंधित आयतें

  • +उत 2:7; 7:15; सभ 3:19; यश 42:5

उत्पत्ति 7:23

संबंधित आयतें

  • +उत 6:7; 2पत 3:5, 6
  • +मत 24:37-39; 1पत 3:20; 2पत 2:5, 9

उत्पत्ति 7:24

संबंधित आयतें

  • +उत 8:3

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

उत्प. 7:1उत 6:9; इब्र 10:38; 11:7; 1पत 3:12; 2पत 2:5, 9
उत्प. 7:2उत 8:20
उत्प. 7:3उत 7:23; 8:19
उत्प. 7:4उत 7:11, 12
उत्प. 7:4उत 2:5
उत्प. 7:4उत 6:7, 17
उत्प. 7:6उत 8:13
उत्प. 7:7लूक 17:27; इब्र 11:7
उत्प. 7:8उत 6:19, 20
उत्प. 7:11उत 1:7; 8:2
उत्प. 7:13उत 9:18; 1इत 1:4
उत्प. 7:13उत 6:18; 1पत 3:20; 2पत 2:5
उत्प. 7:192पत 3:5, 6
उत्प. 7:21उत 6:7, 17
उत्प. 7:21लूक 17:27
उत्प. 7:22उत 2:7; 7:15; सभ 3:19; यश 42:5
उत्प. 7:23उत 6:7; 2पत 3:5, 6
उत्प. 7:23मत 24:37-39; 1पत 3:20; 2पत 2:5, 9
उत्प. 7:24उत 8:3
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
उत्पत्ति 7:1-24

उत्पत्ति

7 इसके बाद यहोवा ने नूह से कहा, “तू अपने पूरे परिवार को लेकर जहाज़ के अंदर चला जा, क्योंकि इस ज़माने के सब लोगों में मैंने सिर्फ तुझी को नेक इंसान पाया है।+ 2 तू अपने साथ शुद्ध जानवरों की हर जाति में से सात-सात जानवर* ले जाना+ जिनमें नर और मादा दोनों हों। और सभी अशुद्ध जानवरों में से नर-मादा का सिर्फ एक-एक जोड़ा ले जाना। 3 आसमान में उड़नेवाले पंछियों और कीट-पतंगों में से भी सात-सात* ले जाना, जिनमें नर और मादा दोनों हों ताकि इनकी नसल सारी धरती पर कायम रहे।+ 4 अब सिर्फ सात दिन बचे हैं, मैं 40 दिन और 40 रात+ तक धरती पर पानी बरसाऊँगा।+ मैंने धरती पर जितने भी इंसान और जीव-जंतु बनाए हैं, उन सबको मिटा दूँगा।”+ 5 यहोवा ने नूह को जो-जो काम करने की आज्ञा दी थी, वह सब उसने किया।

6 जब पृथ्वी पर जलप्रलय आया तब नूह 600 साल का था।+ 7 जलप्रलय के शुरू होने से पहले नूह अपनी पत्नी, अपने बेटों और अपनी बहुओं के साथ जहाज़ के अंदर चला गया।+ 8 और शुद्ध और अशुद्ध जानवरों, उड़नेवाले जीवों और ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले सब जीव-जंतुओं+ में से 9 नर-मादा के जोड़े जहाज़ में नूह के पास गए, ठीक जैसे परमेश्‍वर ने नूह को आज्ञा दी थी। 10 फिर सात दिन बाद पृथ्वी पर जलप्रलय आ गया।

11 नूह की ज़िंदगी के 600 साल के दूसरे महीने के 17वें दिन धरती पर जलप्रलय आया। उस दिन आकाश में पानी के सभी सोते फूट पड़े और पानी के फाटक खुल गए।+ 12 और धरती पर 40 दिन और 40 रात लगातार मूसलाधार बारिश होती रही। 13 उसी दिन नूह जहाज़ के अंदर गया था और उसके साथ उसकी पत्नी, उसके बेटे शेम, हाम और येपेत+ और उनकी पत्नियाँ भी गयीं।+ 14 और हर जाति के जंगली जानवर, हर जाति के पालतू जानवर, ज़मीन पर रेंगनेवाले हर जाति के जीव-जंतु और हर जाति के उड़नेवाले पंछी और कीट-पतंगे भी अंदर गए। 15 हर किस्म के जीव-जंतुओं के जोड़े, जिनमें जीवन की साँस* है, जहाज़ में नूह के पास गए। 16 इस तरह ठीक जैसे परमेश्‍वर ने नूह को आज्ञा दी थी, हर किस्म के जीव-जंतुओं में से नर-मादा के जोड़े जहाज़ में गए। इसके बाद यहोवा ने जहाज़ का दरवाज़ा बंद कर दिया।

17 धरती पर 40 दिन लगातार बारिश होती रही, पानी बढ़ता गया और जहाज़ ज़मीन की सतह से बहुत ऊपर उठ गया और पानी पर तैरने लगा। 18 पानी बढ़ते-बढ़ते पूरी पृथ्वी पर फैल गया, फिर भी जहाज़ पानी की सतह पर तैरता रहा। 19 पानी इतना बढ़ गया कि पूरी धरती पर जितने भी ऊँचे-ऊँचे पहाड़ थे सब डूब गए।+ 20 पानी पहाड़ों से 15 हाथ* ऊँचाई तक बढ़ गया था।

21 इस तरह धरती पर चलने-फिरनेवाले सभी जीव-जंतु और इंसान मिट गए।+ उड़नेवाले जीव, पालतू जानवर, जंगली जानवर, झुंड में रहनेवाले छोटे-छोटे जीव-जंतु, इंसान सब-के-सब खत्म हो गए।+ 22 ज़मीन पर रहनेवाले सभी जीव, जिनके नथनों में जीवन की साँस* चलती थी, मर गए।+ 23 इस तरह परमेश्‍वर ने धरती से सभी जीवों का सफाया कर दिया। इंसान, जानवर, रेंगनेवाले जीव-जंतु, आसमान में उड़नेवाले जीव, सब-के-सब धरती से मिट गए।+ सिर्फ नूह और जो उसके साथ जहाज़ में थे वे ही ज़िंदा बचे।+ 24 और पूरी धरती जलप्रलय के पानी में 150 दिन तक डूबी रही।+

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