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प्रेषितों का सारांश

      • पौलुस महासभा के सामने बोलता है (1-10)

      • पौलुस को प्रभु ने हिम्मत दी (11)

      • पौलुस के कत्ल की साज़िश (12-22)

      • पौलुस को कैसरिया ले जाया गया (23-35)

प्रेषितों 23:1

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 24:15, 16; 2कुर 1:12; इब्र 13:18; 1पत 3:16

प्रेषितों 23:2

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 187

प्रेषितों 23:3

फुटनोट

  • *

    या “सफेदी पुती दीवार।”

प्रेषितों 23:5

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 22:28

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 187

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/2002, पेज 5

    2/1/1991, पेज 14

प्रेषितों 23:6

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 26:4, 5; फिल 3:4, 5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 187-188

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2005, पेज 31

प्रेषितों 23:8

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 4:1, 2

प्रेषितों 23:9

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 22:6, 7, 17, 18

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 188

प्रेषितों 23:11

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 18:9
  • +प्रेष 27:23, 24; 28:23, 30, 31

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 191

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2020, पेज 13

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/1991, पेज 15

प्रेषितों 23:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 191

प्रेषितों 23:14

फुटनोट

  • *

    या “शपथ।”

प्रेषितों 23:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    1/2019, पेज 3

प्रेषितों 23:20

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 23:15

प्रेषितों 23:21

फुटनोट

  • *

    या “शपथ।”

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 23:12

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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 190-191

प्रेषितों 23:23

फुटनोट

  • *

    यानी रात करीब 9 बजे।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 191

प्रेषितों 23:25

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2001, पेज 22

प्रेषितों 23:27

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 21:31-33
  • +प्रेष 16:37; 22:25

प्रेषितों 23:28

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प्रेषि. 23:8प्रेष 4:1, 2
प्रेषि. 23:9प्रेष 22:6, 7, 17, 18
प्रेषि. 23:11प्रेष 18:9
प्रेषि. 23:11प्रेष 27:23, 24; 28:23, 30, 31
प्रेषि. 23:20प्रेष 23:15
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प्रेषि. 23:27प्रेष 21:31-33
प्रेषि. 23:27प्रेष 16:37; 22:25
प्रेषि. 23:28प्रेष 22:30
प्रेषि. 23:29प्रेष 25:19
प्रेषि. 23:30प्रेष 23:16
प्रेषि. 23:31प्रेष 23:23, 24
प्रेषि. 23:34प्रेष 21:39; 22:3
प्रेषि. 23:35प्रेष 24:1
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
प्रेषितों 23:1-35

प्रेषितों के काम

23 पौलुस ने महासभा की तरफ टकटकी लगाकर देखा और कहा, “भाइयो, मैंने आज के दिन तक परमेश्‍वर के सामने बिलकुल साफ ज़मीर से ज़िंदगी बितायी है।”+ 2 यह सुनकर महायाजक हनन्याह ने पौलुस के पास खड़े लोगों को हुक्म दिया कि वे उसके मुँह पर थप्पड़ मारें। 3 तब पौलुस ने उससे कहा, “अरे कपटी,* तुझ पर परमेश्‍वर की मार पड़ेगी। तू कानून के मुताबिक मेरा न्याय करने बैठा है और मुझे मारने का हुक्म देकर उसी कानून को तोड़ भी रहा है?” 4 तब वहाँ खड़े लोगों ने कहा, “तू परमेश्‍वर के महायाजक की बेइज़्ज़ती कर रहा है?” 5 पौलुस ने कहा, “भाइयो, मुझे मालूम नहीं था कि यह महायाजक है। क्योंकि लिखा है, ‘तू अपने लोगों के अधिकारी की निंदा मत करना।’”+

6 पौलुस ने यह जानते हुए कि उनमें से एक दल सदूकियों का है और दूसरा फरीसियों का, महासभा में ज़ोर से पुकारकर कहा, “भाइयो, मैं एक फरीसी हूँ+ और फरीसियों का बेटा हूँ। मरे हुओं के ज़िंदा होने की आशा को लेकर मुझ पर मुकदमा चलाया जा रहा है।” 7 जब उसने यह कहा, तो फरीसियों और सदूकियों में झगड़ा होने लगा और सभा में फूट पड़ गयी। 8 क्योंकि सदूकी कहते हैं कि न तो मरे हुए ज़िंदा किए जाते हैं, न स्वर्गदूत होते हैं, न ही अदृश्‍य प्राणी। मगर फरीसी इन सब बातों पर विश्‍वास करते हैं।+ 9 इसलिए वहाँ बड़ी चीख-पुकार मच गयी और फरीसियों के दल के कुछ शास्त्री उठे और यह कहकर बुरी तरह झगड़ने लगे, “हमें इस आदमी में कोई बुराई नज़र नहीं आती। क्या पता किसी अदृश्‍य प्राणी या स्वर्गदूत ने उससे बात की हो+ . . .।” 10 जब झगड़ा हद-से-ज़्यादा बढ़ गया, तो सेनापति डर गया कि कहीं वे पौलुस की बोटी-बोटी न कर दें। उसने सैनिकों को हुक्म दिया कि वे नीचे जाकर पौलुस को छुड़ा लें और सैनिकों के रहने की जगह ले आएँ।

11 मगर उसी रात प्रभु पौलुस के पास आ खड़ा हुआ और उसने कहा, “हिम्मत रख!+ क्योंकि जैसे तू यरूशलेम में मेरे बारे में अच्छी तरह गवाही देता आया है, उसी तरह रोम में भी तुझे गवाही देनी है।”+

12 जब दिन निकला, तो यहूदियों ने एक साज़िश रची और यह कसम खायी कि जब तक हम पौलुस को मार न डालें तब तक अगर हमने कुछ खाया या पीया, तो हम पर शाप पड़े। 13 जिन्होंने यह कसम खाकर साज़िश रची थी उनकी गिनती 40 से ज़्यादा थी। 14 वे प्रधान याजकों और मुखियाओं के पास गए और कहने लगे, “हमने कसम* खायी है कि जब तक हम पौलुस को मार नहीं डालते, तब तक अगर हमने कुछ खाया तो हम पर शाप पड़े। 15 इसलिए अब तुम लोग महासभा के साथ मिलकर सेनापति को बताओ कि वह पौलुस को नीचे तुम्हारे पास ले आए, मानो तुम उसके मामले की करीबी से जाँच करना चाहते हो। मगर हम उसके यहाँ पहुँचने से पहले ही उसका काम तमाम करने के लिए तैयार रहेंगे।”

16 लेकिन पौलुस के भाँजे ने यह सुन लिया कि वे उसे छिपकर मार डालने की साज़िश कर रहे हैं। उसने सैनिकों के रहने की जगह जाकर यह खबर पौलुस को दे दी। 17 तब पौलुस ने एक सेना-अफसर को अपने पास बुलाकर उससे कहा, “इस लड़के को सेनापति के पास ले जाओ, यह उसे एक खबर देना चाहता है।” 18 वह उसे लेकर सेनापति के पास गया और उसने कहा, “कैदी पौलुस ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझसे गुज़ारिश की कि इस लड़के को तेरे पास ले आऊँ क्योंकि यह तुझे कुछ बताना चाहता है।” 19 सेनापति लड़के का हाथ पकड़कर उसे अलग ले गया और अकेले में उससे पूछा, “तू मुझे क्या खबर देना चाहता है?” 20 उसने कहा, “यहूदियों ने मिलकर यह तय किया है कि वे तुझसे बिनती करेंगे कि तू कल पौलुस को महासभा के सामने लाए, मानो वे उसके मामले के बारे में और जानना चाहते हों।+ 21 मगर तू उनकी बातों में न आना क्योंकि उनके 40 से ज़्यादा आदमी पौलुस को छिपकर मार डालने की साज़िश कर रहे हैं और उन्होंने कसम* खायी है कि जब तक वे पौलुस को मार न डालें, तब तक अगर उन्होंने कुछ खाया या पीया तो उन पर शाप पड़े।+ और अब वे तैयार हैं और तुझसे इजाज़त पाने का इंतज़ार कर रहे हैं।” 22 इसलिए सेनापति ने लड़के को सख्ती से यह कहकर भेज दिया, “किसी से मत कहना कि तूने मुझे यह बात बता दी है।”

23 तब उसने दो सेना-अफसरों को बुलाया और उनसे कहा, “200 सैनिक, 70 घुड़सवार और 200 भाला चलानेवाले तैयार रखो कि वे रात के तीसरे घंटे* कैसरिया के लिए कूच करें। 24 और पौलुस के लिए घोड़े तैयार रखो ताकि तुम उसे सही-सलामत राज्यपाल फेलिक्स के पास पहुँचाओ।” 25 और उसने चिट्ठी लिखी जिसमें ये बातें थीं:

26 “महाप्रतापी राज्यपाल फेलिक्स को क्लौदियुस लूसियास का नमस्कार! 27 इस आदमी को यहूदियों ने पकड़ लिया था और वे इसे मार डालनेवाले थे, मगर मैंने अपने सैनिकों के साथ फौरन वहाँ पहुँचकर इसे बचा लिया,+ क्योंकि मुझे पता चला कि यह एक रोमी नागरिक है।+ 28 मैं जानना चाहता था कि वे किस वजह से इस पर इलज़ाम लगा रहे हैं, इसलिए मैं इसे उनकी महासभा में ले गया।+ 29 मैंने पाया कि उनके अपने कानूनी मसले को लेकर इस पर इलज़ाम लगाया गया था,+ मगर इस पर ऐसा कोई भी इलज़ाम नहीं था जिससे यह मौत की सज़ा पाने या जेल जाने के लायक ठहरे। 30 मगर मुझे खबर मिली कि इसके खिलाफ एक साज़िश रची गयी है।+ इसलिए मैं बिना देर किए इसे तेरे पास भेज रहा हूँ और मैंने मुद्दइयों को हुक्म दिया है कि तेरे सामने इसके खिलाफ अपने इलज़ाम बताएँ।”

31 इसलिए सैनिकों को जैसा हुक्म मिला था, वे पौलुस को रातों-रात अंतिपत्रिस शहर ले आए।+ 32 अगले दिन घुड़सवार पौलुस को लेकर आगे निकल गए और सैनिक अपने रहने की जगह लौट आए। 33 कैसरिया पहुँचकर घुड़सवारों ने राज्यपाल को चिट्ठी दी और पौलुस को उसके सामने पेश किया। 34 चिट्ठी पढ़कर राज्यपाल ने पूछा कि पौलुस किस प्रांत का है और उसे पता चला कि वह किलिकिया से है।+ 35 उसने पौलुस से कहा, “जब तेरे मुद्दई यहाँ आएँगे,+ तो मैं तुझे अपनी सफाई में बोलने का पूरा-पूरा मौका दूँगा।” उसने हुक्म दिया कि उसे हेरोदेस के महल में पहरे में रखा जाए।

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