11 बाद में शाऊल ने अपने दूतों को दाविद के घर भेजा ताकि वे दाविद पर नज़र रखें और सुबह उसे मार डालें,+ मगर दाविद की पत्नी मीकल ने उससे कहा, “अगर आज रात तू यहाँ से नहीं भागेगा तो कल तक तू ज़िंदा नहीं बचेगा।”
13 जवाब में दाविद ने कहा, “अच्छी बात है! मैं ज़रूर तेरे साथ करार करूँगा। बस मैं तुझसे इतना चाहता हूँ कि जब तू मुझसे मिलने आए तो शाऊल की बेटी मीकल+ को मेरे पास लाए, वरना तू मुझे अपना मुँह न दिखाना।”
16 मगर जब यहोवा का संदूक दाविदपुर पहुँचा और शाऊल की बेटी मीकल+ ने खिड़की से नीचे झाँककर देखा कि राजा दाविद यहोवा के सामने झूम-झूमकर नाच रहा है तो वह मन-ही-मन दाविद को तुच्छ समझने लगी।+