28 मेरे दर्शन का ब्यौरा यहीं खत्म होता है। मैं दानियेल, दर्शन की बातें सोचकर बहुत घबरा गया, मेरा चेहरा पीला पड़ गया,* मगर मैंने यह बात अपने दिल में ही रखी।”
27 मैं दानियेल पस्त हो गया और कुछ दिनों तक बीमार पड़ा रहा।+ फिर मैं उठा और राजा के काम में लग गया,+ मगर मैंने जो देखा था उसकी वजह से मैं सुन्न हो गया और कोई मेरी हालत नहीं समझ पाया था।+