जकरयाह
10 “वसंत की बारिश के वक्त यहोवा से बारिश माँगो,
क्योंकि काले बादलों को यहोवा ही बनाता है,
वही लोगों के लिए पानी बरसाता है+
और हर किसी के खेत में हरियाली उपजाता है।
2 मगर कुल देवताओं* की बातें धोखा* हैं
और ज्योतिषी झूठे दर्शन देखते हैं,
वे झूठे सपने सुनाते हैं
और व्यर्थ का दिलासा देते हैं।
इसलिए लोग भेड़ के समान भटक जाएँगे,
वे दुख उठाएँगे क्योंकि उनका कोई चरवाहा नहीं।
3 चरवाहों पर मेरा क्रोध भड़क उठा है,
मैं ज़ालिम अगुवों* से हिसाब लूँगा,
क्योंकि सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने अपने झुंड पर, यहूदा के घराने पर ध्यान दिया है+
और उसे ऐसी शान दी है जैसी उसके जंगी घोड़े की है।
4 उसमें से* एक अगुवा* निकलेगा,
उसमें से मदद देने के लिए एक शासक* आएगा,
उसमें से युद्ध का धनुष निकलेगा,
उसमें से आनेवाला हरेक जन निगरानी करेगा,
ये सब एक-साथ निकलेंगे।
5 वे ऐसे योद्धाओं की तरह होंगे,
जो युद्ध के समय सड़क की मिट्टी को रौंदते हैं।
वे लड़ेंगे क्योंकि यहोवा उनके साथ होगा,+
दुश्मनों के घुड़सवार शर्मिंदा किए जाएँगे।+
मैं उन पर दया करूँगा और उन्हें बहाल करूँगा।+
तब वे ऐसे हो जाएँगे जैसे मैंने उन्हें ठुकराया ही न हो।+
मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ और मैं उनकी बिनती सुनूँगा।
7 एप्रैम के लोग शक्तिशाली योद्धा की तरह हो जाएँगे,
उनका मन खुश होगा, जैसे दाख-मदिरा पीने पर होता है,+
यह देखकर उनके बेटे फूले न समाएँगे,
यहोवा के कारण उनका मन खुशी से भर जाएगा।+
8 ‘मैं सीटी बजाकर उन्हें बुलाऊँगा और इकट्ठा करूँगा,
मैं उन्हें छुड़ाऊँगा+ और उनकी गिनती बेशुमार हो जाएगी
और आगे भी बेशुमार रहेगी।
9 भले ही मैं उन्हें बीज की तरह देश-देश के लोगों में छितरा दूँगा,
मगर वे दूर-दूर के उन इलाकों में भी मुझे याद करेंगे,
वे और उनके बेटे उमंग से भरकर लौट आएँगे।
10 मैं मिस्र से उन्हें वापस लाऊँगा,
अश्शूर से उन्हें इकट्ठा करूँगा।+
मैं उन्हें गिलाद और लबानोन के देश तक ले आऊँगा,+
क्योंकि उन सबके लिए रहने की जगह काफी नहीं होगी।+
जब नील नदी रास्ता रोके खड़ी होगी, तो मैं उसका पानी सुखा दूँगा।
अश्शूर का घमंड तोड़ दिया जाएगा
और मिस्र का राजदंड उससे ले लिया जाएगा।+