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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
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पवित्र शास्त्र, यानी बाइबल परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है। इसे इब्रानी, अरामी और यूनानी भाषाओं में लिखा गया था। लेकिन “सब राष्ट्रों” के लोगों को परमेश्‍वर के वचन से फायदा पाने के लिए ज़रूरी है कि शास्त्र का अनुवाद बहुत-सी भाषाओं में किया जाए। (मत्ती 24:14) मत्ती से प्रकाशितवाक्य तक कुल सत्ताइस किताबें हैं। परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी इन किताबों को “मसीही यूनानी शास्त्र” कहा जाता है, क्योंकि पहली सदी के मसीही लेखकों ने इन्हें यूनानी भाषा में लिखा था।

नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र सबसे पहले अँग्रेज़ी में 1950 में निकाला गया था। यह अनुवाद यूनानी भाषा के एक मशहूर मूल-पाठ पर आधारित है, जिसे वेस्टकॉट और हॉर्ट का यूनानी पाठ कहा जाता है। यह मूल-पाठ, इन सत्ताइस किताबों की यूनानी भाषा में लिखी सबसे प्राचीन हस्तलिपियों से मेल खाता है। इस यूनानी पाठ का अँग्रेज़ी नयी दुनिया अनुवाद में पूरी वफादारी के साथ अनुवाद किया गया है। इसका हिंदी भाषा में यह अनुवाद, अँग्रेज़ी संस्करण पर आधारित है। कोशिश यही की गयी है कि जिस तरह अँग्रेज़ी अनुवाद पूरी वफादारी से यूनानी पाठ पेश करता है, वैसे ही हिंदी में भी किया जाए।

नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र के मुख्य पाठ में परमेश्‍वर का बेजोड़ नाम, यहोवा 237 बार आता है। इस अनुवाद के अतिरिक्‍त लेख 1 में इसकी वजह बतायी गयी है और कुछ तसवीरें भी दी गयी हैं। परमेश्‍वर का नाम पवित्र किया जाना सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है। साथ ही, लोगों को उद्धार पाने के लिए परमेश्‍वर को इस नाम से पुकारने की ज़रूरत है। इन्हीं अहम बातों को ध्यान में रखते हुए, इस अनुवाद में यहोवा का नाम उन सभी जगहों पर वापस डाला गया है जहाँ इसे होना चाहिए।—मत्ती 6:9; रोमियों 10:13.

इस अनुवाद को नयी दुनिया अनुवाद नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि परमेश्‍वर ने सभी इंसानों के लिए एक ऐसी नयी दुनिया लाने का वादा किया है, जहाँ न्याय का बसेरा होगा। (2 पतरस 3:13) इस रचना के अनुवादक, पवित्र शास्त्र के रचनाकार यानी परमेश्‍वर से बेहद प्यार करते हैं। उन्हें यह एहसास है कि परमेश्‍वर के सामने वे इस बात के लिए खास तौर पर ज़िम्मेदार हैं कि वे उसके विचारों और उसके कहे वचनों को, जहाँ तक मुमकिन हो, लोगों तक सही-सही पहुँचाएं। हमारी यह प्रार्थना है कि इस अनुवाद के पढ़नेवाले उन सभी नेकदिल लोगों के लिए यह अनुवाद बेहद अनमोल साबित हो, जो “सच्चाई का सही ज्ञान हासिल” करने की कोशिश में लगे हैं।—1 तीमुथियुस 2:4.

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